राजस्थान में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के पशुपालकों को पशु चिकित्सा संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए ए हेल्प योजना की शुरुआत की गई है। प्रदेश के पशुपालन, गोपालन एवं डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत ने इस योजना का शुभारंभ किया। ए हेल्प योजना केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है।
कुमावत ने बताया कि पशुधन उत्पादों की तेजी से बढ़ती मांग महिलाओं के सशक्तिकरण के अवसर पैदा करती हैं। ऐसे में पशुधन मालिक , प्रसंस्करणकर्ता और पशुधन उत्पादों केनुपयोगकर्ता के रूप में महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। यह योजना महिलाओं को सशक बनाने की दिशा में एक और अभिनव कदम है।
उन्होंने कहा कि इस योजना के माध्यम से पशु सखियों के पशुपालकों से जुड़ने पर न केवल पशुधन उत्पादों में वृद्धि होगी बल्कि पशुपालकों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत आयेगी। साथ ही ये पशु सखियां देश में आ रही नई नई तकनीकों का भी प्रकार करेगी। पशु सखियों के माध्यम से पशुपालकों को नवीनतम तकनीकों की जानकारी मिलेगी और उसके उपयोग से वे अपनी आर्थिक स्थिति को और मजबूत बना पाएंगे ।
पशुपालन विभाग के प्रमुख विकाश भाले ने कहा कि राजस्थान की बड़ी आबादी खेती और पशुपालन पर निर्भर करती हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में नए नए नवाचार कर इसे और अधिक उन्नत और सशक्त बनाने की आवश्यकता है। ए हेल्प एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसके जरिए पशुपालकों को उनके दरवाजे पर ही पशु सखी के माध्यम से पशुपालन संबंधी सारी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी।
उन्होंने बताया की राजस्थान में 9000 पशु सखियों के प्रशिक्षण का लक्ष्य रखा गया है। इसका अर्थ है कि लगभग प्रत्येक ग्राम पंचायत पर पशुपालकों की सहायता के लिए एक पशु सखी उपलब्ध होगी ।
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