खीरे की फसल में कद्दू का लाल भृंग बीटल किट मार्च से अप्रैल से नवंबर के महीने तक सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं। यह किट सभी कद्दू वर्गीय फसलों के लिए बड़ा खतरा साबित होते हैं। इसलिए लिए इसे कद्दू का लाल भृंग किट नाम दिया गया है, जो की ये किट लाल रंग का ही होता है। इसके लार्वा और वयस्क दोनों ही फसल में पत्तियों को काटते हुए देखे जा सकते हैं। खीरे की पत्तियों पर इस किट का प्रकोप पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को प्रभावित करते हैं। जिससे पौधे भोजन नहीं बना पाते और पुनः सुख जाते हैं। पत्तियों पर दिख रहे छोटे बड़े कटे हुए छेद इस किट के संक्रमण की एक बड़ी पहचान है।
यह किट लगभग 10 के समूह में अंडे देते है, जिसमें 1 से 2 सप्ताह में ग्रब निकल कर मिट्टी में लगभग एक फुट की गहराई में चले जाते हैं। मिट्टी में जाने से पहले ये किट तनों और जड़ों को काफी प्रभावित करते हैं। इसके अलावा जब खेत में कद्दू के पौधे उपलब्ध नहीं होते हैं तो ये किट खरपतवार, टेंडा, तोरी, ककड़ी और खरबूजा जैसे फसल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। यह किट तेजी से बढ़ती आबादी से फसल को व्यापक रूप से काफी नुकसान पहुंचाते हैं और जमीन को छूने वाले फलों में लार्वा प्रवेश कर उसे अंदर से खराब कर देते हैं।
यह वयस्क किट लाल रंग के होते है और 5 से 10 मिलीमीटर तक लंबे हो सकते हैं।
यह किट केवल 60 से 85 दिनों की अवधि में ही लगभग 300 तक के अंडे दे सकते हैं।
ग्रब सफेद रंग के होते है, जिसकी अवधि 15 से 25 दिनों तक की होती है। उसके बाद ये 20 से 25 सेमी की गहराई पर प्यूपा में बदल जाते हैं।
इसके वयस्क किट नारंगी लाल रंग की दिखने वाली घरेलू मक्खी के समान दिखती हैं।
कद्दू वर्गीय फसलों के खेत के पास ककड़ी, तोरई आदि बेल व तलाओं वाली सब्जियों की खेती लागतार तीस वर्ष करने से बचें।
खीर के खेत में खरपतवार न उगने दे बल्की निरंतर निराई गुड़ाई करते रहे। क्योंकि खरपतवार ज्यादा होने से इस कीट को बढ़ाने में काफी मदद करते हैं।
फसल की निरंतर निरक्षण करते रहे, जिससे फसल में वयस्क किट दिखते ही तुरंत जैविक उपचार करें।
इसके लिए 150 लीटर पानी में एक लीटर जी बायो फॉस्फेट एडवांस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए 10 दिन के बाद पुनः स्प्रे करें।
इसके अलावा आप 150 लीटर पानी में एक लीटर जी पोटाश या जी डर्मा को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे कर सकते हैं।
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