दीमक समूह में रहने वाले किट है। यह छोटे आकार के एवं चमकीले होते हैं। यह किट हल्के पीले या भूरे रंग के होते हैं। समूह में रहने एवं तेजी से फैलने के कारण यह काम समय में मक्के की फसल को काफी भारी नुकसान पहुंचाते हैं। और दीमक के प्रकोप के कारण उत्पादन में 70 प्रतिशत तक की कमी हो सकती हैं। यह किट मक्के के पौधों को किस तरह नुकसान पहुंचाते हैं और इससे बचने के जैविक उपाएं क्या है कृषि जागृति के इस पोस्ट से जान सकते हैं।
मक्के की फसल में दीमक किट के प्रकोप के लक्षण
यदि खेत में पहले से दीमक किट है तो बीज अंकुरित होने से पहले ही यह किट बीज को खा कर नष्ट कर देते हैं।
अगर मक्के के बीज अंकुरित हो गई है तो यह पौधों के तने को खा कर फसल को क्षति पहुंचते हैं।
दीमक किट जमीन की सतह के पास पौधो के तनो को भी काटते हैं।
दीमक किट को नियंत्रण करने के जैविक उपाएं
कच्चे गोबर में दीमक जल्दी पनपते हैं। इसलिए खेत में कभी भी कच्चे गोबर का प्रयोग न करें। जिसमे कीड़े मौकोड़े मौजूद हो।
खेत में खरपतवार, फसलों के अवशेष , टहनियां, आदि इक्ट्ठा न होने दें।
खेत तैयार करते समय मिट्टी को उपचारित अवश्य कर ले। इसके लिए प्रति एकड़ खेत में 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट में 10 किलोग्राम जी-सी पावर और एक लीटर जी-एनपीके को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर संध्या के समय पूरे खेत में बिखेर कर जुताई करें।
मक्के की बुआई करने से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 10 मिली जी-एनपीके से उपचारित करें।
दीमक के प्रकोप को कम करने के लिए प्रति एकड़ खेत में क्विंटल नीम की खली का प्रयोग करें।
मक्के की खड़ी फसल में दीमक का प्रकोप होने पर शुरुआती चरण में ही 150 लीटर पानी में एक लीटर जी-एनपीके को मिलाकर संध्या के समय प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें।
इसके अलावा 150 लीटर पानी में एक लीटर जी-डर्मा प्लस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय स्प्रे करें।
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हमे उम्मीद है कि पोस्ट में बताई गई जैविक दवाओं का इस्तेमाल सही समय पर किए तो दीमक किट पर नियंत्रण के लिए कारगर साबित होगी। अगर आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी हो तो इस जानकारी को अन्य किसानों के साथ साझा भी करे। जिससे अन्य किसान मित्र भी इसका लाभ उठा सकें। मक्का की खेती से जुड़े अपने सवाल हमसे WhatsApp के माध्यम से पूछ सकते हैं।