यदि आप मक्के की खेती कर रहे हैं तो मक्के की फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए खरपतवार पर नियंत्रण करना अति आवश्यक होता है। इसके खेत में खरपतवार और विभिन्न घासों की अधिकता के कारण फसल की उपज पर प्रतिकूल असर पड़ता हैं। ऐसे में कृषि जागृति के इस पोस्ट में दिए गए उपायों को अपनाकर आप मक्के की खेत में उग रहे खरपतवारों पर जैविक विधि से नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं।
मक्के के खेत में उगने वाले खरपतवारों की किस्में
मक्के में मुख्यत: 3 प्रकार के खरपतवार उगते हैं।
पहली सकरी पत्तियों वाले खरपतवार: इस खरपतवार में सावा, दूब, नरकुल, वाइपर घास, मोथा, आदि सामिल है।
दूसरी चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवार: इस खरपतवार में चौलाई, साटी, जंगली जूट, मकोई, हजारदान, कुंदा घास, आदि शामिल हैं।
तीसरी सेजेज : इस खरपतवार में मोथा और येलो, नटसजे किस्म के घास शामिल है।
मक्के के खेत में उगने वाले इन खरपतवारों का जैविक रोकथाम
मक्के के खेत में 2 से 3 बार निराई-गुड़ाई जरूर करें। मक्के के खेत में निराई-गुड़ाई करते समय इस बात का आवश्य ध्यान रखें कि यह 4 से 5 सेंटीमीटर से ज्यादा गहरी न हो। मक्के के खेत में अधिक गहराई से निराई-गुड़ाई करने पर मक्के की जड़े कट सकती है। और फसल को काफी नुकसान हो सकता है।
मक्के के खेत में निराई गुड़ाई करने के लिए आप किसी मिनी टूल्स का भी प्रयोग कर सकते हैं। जैसे की चाइना के किसान करते हैं। छोटे छोटे मिनी यंत्रों का जैसा की आप सभी मेरे फेसबुक रील पर देखते होंगे।
इसके अलावा आप किसी खरपतवार नाशक दवा का छिड़काव भी कर सकते हैं। हालंकि इससे मक्के की फसल को नुकसान भी पहुंच सकते हैं। अगर उचित मात्रा में इस्तेमाल न किया जाए तो, इसलिए सावधानी पूर्वक इस्तेमाल करें।
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