खीरा जायद मौसम में खेती की जाने वाली एक मुख्य फसल है। इसका उत्पादन और फल की गुणवत्ता इसकी फसल की सही से देखभाल करने एवं जैविक उपचार करने पर निर्भर करता हैं। अन्य सभी फसलों की तरह खीरे की फसल में भी कीट और रोग लगते रहते है। अगर समय रहते इन रोगों पर नियंत्रण नहीं किया जाए तो फसल को भारी नुकसान होता हैं।
ऐसे ही एक किट है जो की इसकी फसल पर आक्रमण करती है जिसका नाम है सुंडी, जो हरे या पीले रंग के होते है। यह किट इसकी फसल में आक्रमण करके पत्तों और फलों को नष्ट करती हैं। अगर आप इसकी फसल में लगे इस किट से परेशान रहते है तो कृषि जागृति के इस पोस्ट में आप इसके लक्षण एवं नियंत्रण करने की जैविक जान सकते हैं।
खीरे की फसल को सुंडी कीट से होने वाले नुकसान
खीरे की फसल को इस किट के आक्रमण से पत्तियां सबसे ज्यादा प्रभावित होती है।
यह किट खीरे की पत्तियों को खा कर पूरी तरह नष्ट कर देती है।
इस किट से प्रभावित खीरे का पौधा अच्छे से विकास नहीं कर पाता है।
इस किट के आक्रमण से खीरे की फसल 4 से 5 दिनों में ही पूरी तरह प्रभावित हो जाती हैं।
खीरे की फसल में लगे सुंडी कीट पर नियंत्रण के जैविक विधि
खीरे की फसल पर सुंडी किट का प्रकोप दिखाने पर तुरंत जैविक उपचार करें जो की किट के प्रारंभिक अवस्था में ही करना है। इसके लिए आपको 150 लीटर पानी में एक लीटर जी बायो फॉस्फेट एडवांस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए 10 दिन के बाद पुनः स्प्रे करें।
इसके अलावा ये जैविक कीटनाशक न उपलब्ध होने कि स्थिति में 150 लीटर पानी में एक लीटर जी-डर्मा प्लस को मिलाकर भी स्प्रे कर सकते हैं।
इन कीटो को आक्रमण का कारण खरपतवार होते है। इसलिए खीरे के खेत में खरपतवार को न पनपने दे बल्की निरंतर निराई गुड़ाई करते रहे।
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