फसल की बुआई के समय डीएपी उर्वरक का उपयोग करने की सलाह दी जाती है, ताकि यह मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाए। लेकिन किसान आमतौर पर फसल की सिंचाई के समय भी डीएपी उर्वरक का उपयोग करते हैं। लगभग प्रति एकड़ फसल में 15 किलोग्राम डीएपी उर्वरक का छिड़काव करना उचित है। लेकिन इससे बेहतर होगा की जैव उर्वरक का छिड़काव करें। इससे खेत की मिट्टी भी उपजाऊ बनेगी और फसल अपने क्षमता अनुसार पोषक तत्व स्वयं मिट्टी से ग्रहण कर लेंगे। जिससे फसल पर रोग एवं किट लगने की संभावना भी कम रहेगी।
डीएपी खाद के फायदे
नाइट्रोजन और फास्फोरस की अच्छी मात्रा होने से पौधे भरपूर रहते हैं। पौधों के समुचित विकास के लिए डीएपी खाद महत्वपूर्ण है। डीएपी खाद तिलहन और दलहन फसलों के लिए भी उपयुक्त है। लेकिन डीएपी खाद पौधों के पोषण के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है और कोशिकाओं के लिए भी उपयोगी है।
डीएपी उर्वरक के हानिकारक प्रभाव
आपको पता होगा कि इसके रासायनिक गुणों के कारण इसके कुछ हानिकारक प्रभाव भी हो सकते हैं। किसी भी रासायनिक उर्वरक या डीएपी उर्वरक का उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है या हो सकती है। इसके अलावा बरसात के मौसम में जब खेत की मिट्टी एक जगह से दूसरी जगह जाती है तो वह अपने साथ डीएपी खाद भी ले जाती है। अगर आप इस रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल उच्चित मात्रा में नहीं करते है तो ये फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचाते है। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है की इन रासायनिक उर्वरकों का अपने फसलों पर उचित मात्रा में दे।
जैसा की आपको पता होगा की यूरिया जो है वो पौधों को हरा भरा रखने में मदद करता है लेकिन यही यूरिया फसलों में ज्यादा मात्रा में दिया जाता है तो ये फसलों को हरा भरा से पीला भी कर देता है। वही डीएपी खाद फसलों की ग्रोथ करने में मदद करता है अगर यही डीएपी फसलों में ज्यादा मात्रा में दिया जाता है तो फसल तीव्र गति से बढ़ कर लिपि लिपि हो जाती है। वही पोटेशियम खाद फसलों के उपज में चमक लाने में मदद करती है।
इसलिए हमारे किसान भाइयों को जब भी फसलों में इन रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करे तो 4:3:1 के अनुपात में करे यानी 7 किलोग्राम उर्वरक में 4 किलोग्राम यूरिया, 3 किलोग्राम डीएपी और 1 किलोग्राम पोटाश यानी प्रति एकड़ खेत में 25 किलोग्राम यूरिया, 15 किलोग्राम डीएपी और 10 किलोग्राम पोटेशियम का इस्तेमाल करें। पोटेशियम के तौर पर 10 किलोग्राम जाईम या 10 किलोग्राम जी सी पावर या 10 किलोग्राम जी प्रोम एडवांस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
जैव उर्वरक के तौर पर आप 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी और भुरभुरी व थोड़ी नमी वाली गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट या केंचुआ खाद में 10 किलोग्राम समुद्री शैवाल जी-सी पावर, 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस और 4 किलोग्राम माइकोराइजा जी-वैम में 500 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस या 1 लीटर जी-डर्मा प्लस या लीटर मिली जी-स्यूडो को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 30 मिनट हवा लगने के प्रति एकड़ खेत में मिट्टी, फसलों और पौधों में छिड़काव कर सकते हैं।
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