यूं तो सभी सब्जियों के अपने अलग-अलग फायदे हैं तथा सभी सेहत के लिए लाभदायक होती हैं। लेकिन कुछ सब्जियां ऐसी होती हैं जो कि मौसम के अनुसार खाने से ही फायदा करती हैं। मटर सर्दियों की सबसे अहम सब्जियों में से एक होती है। बहुत कम ही लोग मटर के गुणों के बारे में जानते हैं। खाने में मटर का इस्तेमाल आपको कई प्रकार की बीमारियां से दूर रख सकता है।
भारत में मटर की खेती
भारत में मटर की खेती सबसे ज्यादा उत्तर के राज्यों में की जाती है। यह अक्टूबर से नवंबर माह के बीज बोई जानी वाली फसल है। भारत में इसकी कई प्रकार की किस्में उगाई जाती हैं जिसमें जवाहर-4, अर्किल, काशी मुक्त, काशी उदय, पंत उपहार एवं P-8 प्रमुख हैं। अगर मटर की फसल की सही से देखभाल न की जाए तो इसमें कई प्रकार के रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। मटर की खेती में अक्सर मृदुरोमिला आसिता, सफेद बिगलन, चूर्णिल आसिता, गेरुआ, उकठा, झुलसा जैसे रोग लग जाते हैं।
मटर के पौधों के विकास में सहायक है गैलवे कृषम के ये जैविक उत्पाद
मटर की जैविक खेती करने के लिए एक जुताई करने के बाद मिट्टी उपचार के लिए 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी भुरभुरी व थोड़ी नमी वाली गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 10 किलोग्राम जी-सी पावर या 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस के साथ 1 लीटर जी-डर्मा प्लस या जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 30 मिनट हवा लगने के बाद प्रति एकड़ खेत में छिड़काव कर दो बार जुताई करा दें।
बीज उपचार के समय 5 से 10 एमएल जी-स्यूडो प्लस या जी-पोटाश एडवांस को प्रति किलोग्राम बीज के साथ मिलकर उपचारित कर 15 से 20 मिनट के लिए हवा लगने के बाद बुवाई करें। अगर मटर के खेत में नमी नहीं है तो पहली सिंचाई करने के लिए 25 किलोग्राम यूरिया, 10 किलोग्राम डीएपी के साथ 10 किलोग्राम जी-सी पावर या 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस मिलाकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव कर सिंचाई करें।
सिंचाई करने के 10 दिन बाद 20 एमएल जी-अमीनो प्लस को 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें, फिर उसके बाद जब मटर की फसल में फूल निकलने से पहले या निकलते समय 20 एमएल जी-बायो ह्यूमिक एवं 20 एमएल जी-सी लिक्विड को 15 लीटर पानी के टैंक में मिला स्प्रे करें। फिर फल तैयार होने से पहले या फल बनते समय 20 एमएल जी-अमीनो प्लस और 20 एमएल जी-सी लिक्विड को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर स्प्रे करें।
अगर आप इन जैविक उत्पादों का इस्तेमाल कर मटर की जैविक खेती करते है तो इससे मटर के पौधों को सड़न-गलन रोग बचाने में मदद मिलती है एवं विगलन रोग से मटर का पौधा मुक्त होता हैं।
Not: गैलवे कृषम के सभी जैविक उत्पाद की खासियत यह है कि ये ईको फ्रेंडली हैं और मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों तथा पर्यावरण के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं हैं।
यह भी पढ़े: गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों के साथ रोग मुक्त आलू की जैविक खेती से उगाएं स्वास्थ्य की फसल!
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े रहे या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें। धन्यवाद