आलू की जैविक खेती, आलू को सब्जियों का राजा कहां गया है। इसके बिना किसी सब्जी का स्वाद अधूरा है। आलू के बिना किचन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। संसार में सबसे ज्यादा आलू उत्पादन के क्षेत्र में चीन का पहला स्थान है। हमारे देश में भी आलू एक प्रमुख नगदी फसल बन गई है और उत्तर प्रदेश आलू का उत्पादन करने में सबसे आगे है। दुनिया में गेहूं, चावल और मक्का के बाद आलू ही एक ऐसी खाद्य फसल है जिसकी सबसे ज्यादा खेती की जाती हैं।
भारत में आलू की प्रमुख किस्में: भारत में कुफरी चंद्रमुखी, अलंकार, बादशाह, सिंदूरी, देवा, शीतामन, लालिमा, जवाहर, IF-5106 जैसी कई किस्मों के आलू की फसल का उत्पादन होता है।
मिट्टी उपचार: आलू की बुवाई मुख्यतः अक्टूबर माह में की जाती है। आलू की जैविक खेती करने से पहले खेत की मिट्टी को अच्छे से उपचारित करें। इसके लिए आप 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट खाद में 10 किलोग्राम जी-सी पावर और जी-प्रोम एडवांस के साथ 1 लीटर जी-डर्मा प्लस या 1 लीटर जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 30 मिनट हवा लगने के बाद प्रति एकड़ खेत में छिड़काव कर खेत की दो बार जुताई कर दें। ध्यान रहे मिट्टी का उपचार करने से पहले दो जुताई करके करें।
बीज उपचार: आलू के बीज के उपचार के लिए 10 एमएल जी-बायो फॉस्फेट एडवांस या जी-डर्मा प्लस को एक लीटर पानी मिलाकर प्रति किलोग्राम बीज को 15 से 20 मिनट तक उपचारित करें।
आलू की बुवाई का सही तरीका: आलू की बुवाई के लिए 25 एमएम से 45 एमएम तक के आकार का बीज होना चाहिए। कोशिश करे कि बीज को काटना न पड़े। इसके साथ ही 4 से 8 किलोग्राम जी-वैम, जी-एनपीके, जी-अमीनो प्लस, जी-बायो ह्यूमिक, जी-सी लिक्विड को बुवाई के समय बीजों में मिलाने से बीजों का अंकुरण बेहतर होता है तथा पौधा स्वस्थ एवं रोग रहित पैदा होता है। तो इस तरह से आप गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करके आलू की फसल की अधिक एवं बेहतरीन उत्पादन कर सकते हैं अपने स्वास्थ्य के लिए।
Not: गैलवे कृषम के सभी जैविक उत्पाद की खासियत यह है कि ये ईको फ्रेंडली हैं और मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों तथा पर्यावरण के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं हैं।
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