प्रमुख तुअर उत्पादक राज्य कर्नाटक में उत्पादकों ने राज्य की तुअर की फसल पर चक्रवात मिचौंग के संभावित प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है। इस साल विलंबित और अनियमित मानसून ने इस खरीफ सीजन में तुअर की बुवाई पिछड़ी थी। अब फसल पर चक्रवात मिचौंग के असर का खतरा मंडरा रहा है। कर्नाटक के तुअर उत्पादक एसोसिएशन के अध्यक्ष बसवराज इंगिन ने कहां, पिछले दिनों का प्रतिकूल मौसम अरहर की फसल को प्रभावित कर सकता है। देरी से बुआई के कारण कुछ फसलें अभी भी फूलने की अवस्था में हैं, जबकि कुछ की कटाई होने वाली है।
इंगिन ने कहां कि अप्रत्याशित जलवायु स्थिति के चलते जिससे किसानों के लिए जोखिम बढ़ रही है। उन्होंने इस संकट से निपटने के लिए वित्तीय सहायता की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हुए सुखा प्रभावित किसानों के लिए सरकारी राहत का आग्रह किया। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि इस सीजन के दौरान कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पिछले साल की तुलना में अरहर की खेती में कमी आई है।
मंत्रालय के पहले अनुमान के अनुसार 2023-24 के दौरान देश में 34.21 लाख टन तुअर का उत्पादन होगा, जो पिछले वर्ष के 33.12 लाख टन से थोड़ा अधिक है। चक्रवात मिचौंग के कारण तुअर की फसलों को हुए नुकसान से किसानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है। सरकार को इस नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को राहत देने की आवश्यकता है।
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