मनुष्यो की तरह पशुओं के लिए भी खनिज तत्व बहुत आवश्यक होते हैं। पशुओं के शारीरिक विकाश के लिए लिथियम, पोटेशियम, फॉरफोरस, मैग्नीशियम, अलग-अलग आदि पोषक तत्वों के महत्व की आवश्यकता होती हैं।
कभी-कभी पोषक तत्वों की कमी होने पर लक्षण जल्दी नजर नहीं आते हैं या कई बार लक्षणों की सही जानकारी नहीं होने के कारण भी पशुपालक सही समय पर इसकी पूर्ति नहीं कर पाते हैं।
जिससे पशुओं का स्वास्थ्य लगातार खराब होने लगता हैं। तो आइए जानते हैं कृषि जागृति के इस पोस्ट में पशुओं में विभिन्न पोषक तत्वों की कमी से होने वाले नुकसान एवं पोषक तत्वों कि कमी दूर करने के तरीके के बारे में विस्तार से।
पशुओं में कैल्शियम की कमी होने वाले नुकसान
दूध उत्पादन क्षमता कम होने लगती हैं। पशुओं की दांते एवं हंडिया कमजोर होने लगती हैं। जिससे पशुओं को खड़े होने या चलने में कठिनाइयां होने लगती हैं। फ्रैक्चर और हड्डी की विकृति का खतरा बढ़ जाता हैं।
नवजात पशुओं के शारीरिक विकाश मै बाधा आती हैं। पशुओं में दूध ज्वार रोग होने की संभावना बढ़ जाती हैं। प्रसव के दौरान जेर रुकने की खतरा अधिक होती हैं। कई बार केल्शियम की कमी होने पर पशु मिट्टी, रस्सी ,कपड़ा आदि चबाने लगते हैं।
पशुओं में कैल्शियम की कमी को कैसे दूर करें!
व्यस्क पशुओं में कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर हरे चारे खिलाएं और नवजात शिशुओं को प्रति दिन चोकर, खरी, भूसी व हरे चारे खिलाते रहे।
पशुओं में फॉस्फोरस की कमी से होने वाले नुकसान
पशुओं के शरीर में फॉस्फोरस की कमी होने से उनकी दातें एवं हंडिया कमजोर होने लगती हैं।पशुओं के जोड़ो में सूजन की समस्या हो सकती हैं। कई बार इनके मूत्र के साथ रक्त भी निकलने लगता हैं। ऊर्जा की कमी से पशु सुस्त नजर आते हैं। चयापचय क्रियाओं में कठिनाई होती हैं।
कई बार पशु लंगड़ा कर चलने लगते हैं। पशुओं की योवन परिपक्वता देर से होती हैं। मंद चक्र में अनियमितता की समस्या हो सकती हैं। पशुओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती हैं। यह पाचन तंत्र के साथ गुर्दे को स्वस्थ रखने में भी सहायक हैं।
पशुओं में फॉस्फोरस की कमी को कैसे दूर करें!
पशुओं में फॉस्फोरस की कमी दूर करने के लिए उनके आहार में जौ, जई, सरसो, राई, मूंगफली, आदि के पौधों को हरे चारे के तौर पर शामिल करें। इसके साथ ही पशुओं के आहार में चोकर मिलाए।
हरे चारे के सेवन से पशुओं में कैल्शियम के साथ फॉस्फोरस की कमी भी पूरी होती हैं। पशुओं में पोटेशियम की कमी से होने वाले नुकसान पोटेशियम की कमी के कारण पशुओं का शारीरिक विकाश धीमी गति से होती हैं।
दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता में कमी आती हैं। पशुओं का वजन कम होने लगता हैं और पशु सुस्त एवं कमजोर हो जाते हैं। उनकी मांशपेशियां में कमजोरी आती हैं। पशुओं के शरीर में अकड़न की शिकायत होती हैं।
पोटेशियम की कमी होने पर पशु आहार एवं पानी का सेवन कम कर देते हैं। आहार में मौजूद अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण में कठिनाई होती हैं। पोटेशियम की कमी से एसिडोसिस जैसे चयापचय संबंधी विकार भी हो सकते हैं।
पशुओं में पोटेशियम की कमी कैसे दूर करें!
पशुओं के लिए संतुलित आहार की व्यवस्था करें। पोषक तत्वों से भरपूर हरे चारे खिलाएं जिसमें पोटेशियम की मात्रा ज्यादाहोती हैं। इसका सेवन पशुओं के लिए बेहद लाभदायक होगा। गाय एवं भैंस के आहार में प्रतिदिन गुड, चोकर, खरी शामिल करते रहे। नवजात शिशुओं भेड़, एवं बकरियों को प्रति दिन पोषक तत्वों से भरपूर हरे चारे खिलाते रहे।
कॉपर की कमी से होने वाले नुकसान
हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। पशुओं का वजन कम होने लगता हैं। पशुओं का शारीरिक विकाश धीमी गति से होती हैं। पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती हैं। पशुओं में थानेला रोग होने की संभावना बढ़ जाती हैं। जेर अटकने की संभावना होती हैं।
पशुओं के शरीर में एंजाइम्स एवं आयरन यानी लोहा के अवशोषण के लिए कॉपर आवश्यक है। इसलिए कॉपर की कमी होने पर पशुओं में एनीमिया के लक्षण भी नजर आ सकते हैं। पशुओं के शारीर में मौजूद बालों का रंग बदलने लगता हैं।
बालों के रंग काले से बदलकर भूरे या लाल होने लगते हैं। मादा पशुओं के गर्भाशय ऊतकों में कमजोरी के साथ उसकी क्रियाशीलता कम होने लगती हैं। कॉपर की कमी बढ़ने पर गर्भावस्था के प्रारंभिक चरण में भ्रूण की मृत्यु या गर्भपात की भी व्यवस्था हो सकती हैं।
पशुओं में कॉपर की कमी को कैसे दूर करें!
पशुओं के शरीर में कॉपर की कमी दूर करने के लिए उनके आहार में संतुलित मात्रा में हरे चारे एवं सूखे चारे शामिल करें। दूध उत्पादन की मात्रा बढ़ाने के लिए पशुओं के आहार में चोकर, खरी शामिल करें। इन दिनों बाजार में कई तरह के फीड सप्लीमेंट उपलब्ध हैं। पशुओं के आहार में इसे शामिल कर सकते है।
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