हमारे देश के कुछ राज्यों में बहुत अधिक ठंड या बहुत अधिक गर्मी के कारण हरे चारे उपलब्ध नहीं हो पाता है। ऐसे में पशुओं को साइलेज खिलाना एक बेहतर विकल्प हैं। साइलेज के सेवन से पशुओं के शरीर में कई पोषक तत्वों कि कमी दूर होती हैं।
हालांकि इसे बहुत अधिक मात्रा में नहीं खिलाना चाहिए। इसके साथ ही पशुओं को हमेशा उच्च गुणवत्ता के साइलेज का ही सेवन कराए। यदि आपको साइलेज की जानकारी नहीं है तो कृषि जागृति के इस पोस्ट को ध्यान से पढ़े। यहां से आप साइलेज खिलाने की मात्रा, इसके लाभ एवं उच्च गुणवत्ता के साइलेज की पहचान से जुड़ी जानकारी विस्तार से प्राप्त करें।
साइलेज क्या है!
साइलेज हरे चारे को ताजे यानी रसीले अवस्था में सुरक्षित रखा जाने वाला पशु आहार है। चारे वाली फसलों में मौजूद शुगर की मात्रा लैक्टिक एसिड में बदल जाती हैं, जो इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखने में सहायक हैं।
साइलेज बनाने के लिए किन फसलों का करें चयन!
साइलेज बनाने के लिए मक्का, शोरगम, जो, बाजरा, नेपियर घास, जई, तिपतिया घास, गेहूं, रिजका, आदि फसलों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
उच्च गुणवत्ता की साइलेज को कैसे पहचाने!
रंग: उच्च गुणवत्ता की साइलेज का रंग हल्का हरा से पिला या हरापन लिए भूरा होता हैं। हवा के संपर्क में आने के बाद या खराब होने के बाद इसका रंग बदल कर काला हो जाता हैं।
बनावट: उच्च गुणवत्ता वाले साइलेज की बनावट नम और थोड़ी चिपचिपी होती हैं। यह नरम एवं मुलायम होना चाहिए। यदि साइलेज बहुत सुखा है तो यह समझ ले कि इसे उचित तरीके से पैक व भंडारित नहीं किया गया हैं, जिससे ये जल्द ही खराब हो सकता हैं।
गंध: उच्च गुणवत्ता वाले साइलेज मै लैक्टिक एसिड गंध होती हैं। यदि इससे खट्टा या बासी गंध आने लगे तो समझ ले कि साइलेज अच्छी गुणवत्ता का नहीं है या खराब हो गया हैं।
पी एच स्तर: उच्च गुणवत्ता वाले साइलेज का Ph स्तर 3.8 ओर 4.2 के बीच होना चाहिए।
नमी : गुणवत्तापूर्ण साइलेज में नमी की मात्रा 65 से 70 प्रतिशत होनी चाहिए।
लैक्टिक एसिड: उच्च गुणवत्ता वाले साइलेज मै लैक्टिक एसिड की मात्रा 3 से 14 प्रतिशत तक होनी चाहिए।
पोषक तत्व: उच्च गुणवत्ता वाले साइलेज मै प्रोटीन, ऊर्जा, और खनिजों एवं अन्य पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होनी चाहिए। पोषक तत्व की मात्रा प्रयोगशाला विश्लेषण के माध्यम से निर्धारित की जा सकती हैं।
घर पर साइलेज को कैसे तैयार करें!
मक्का, जौ आदि हरे चारे को 1 से 2 इंच के आकार में काटे। इसमें 65 से 70 प्रतिशत तक नमी की मात्रा होनी चाहिए। इसके बाद 5 वर्ग फिट यानी स्क्वायर मीटर का गठ्ठा तैयार करें। गढ्ढे की दीवारों एवं सतह की अच्छी तरह गोबर से पुताई करें।
इसमें 500 से 600 किलोग्राम कटा हुआ हरा चारा, 25 किलोग्राम शीरा, 1.5 किलोग्राम यूरिया को एक के ऊपर एक परत के अनुसार लगाते हुए भरे। गढ्ढे में हवा एवं पानी न जा पाए इसके लिए इसे ऊपर घास से अच्छी तरह दबाएं। इस मिश्रण को कम से कम 45 दिनों तक रहने दें। फिर इसके बाद साइलेज तैयार हो जाएगा।
पशुओं को साइलेज खिलाने के क्या है लाभ!
पर्याप्त मात्रा में हरा चारा उपलब्ध न होने पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता हैं। साइलेज एक अत्यधिक पोष्टिक चारा है। इसके सेवन से पशुओं को संतुलित आहार प्राप्त होता हैं और पोषक तत्वों की कमी दूर होती हैं।
साइलेज में ऊर्जा, प्रोटीन और खनिजों की भरपूर मात्रा में पाई जाती हैं। इसके सेवन से पशुओं के दूध उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती हैं और पशुओं का स्वास्थ्य भी बेहतर होता हैं। पशुओं के लिए यह एक सुपाच्य आहार है।
साइलेज की भंडारण क्षमता अच्छी होती हैं। हवा एवं पानी के संपर्क में आए बिना इसे अच्छी तरह से पैक करने पर यह लंबे समय तक खराब नहीं होता हैं। यह सूखे चारे की तुलना में साइलेज कम जगह लेता हैं। कम लागत मैं उच्च गुणवत्ता युक्त चारा प्राप्त कर सकते हैं।
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