मोटे अनाजों में मक्का की खेती प्रमुखता से की जाती है। लेकिन कुछ रोगों के कारण मुनाफा देने वाली यह फसल किसानो के लिए काफी भारी नुकसान का कारण बन जाती है। इन रोगों में झुलसा रोग भी शामिल हैं, जिसे ब्लाइट रोग के नाम से भी जाना जाता है। इन दिनों मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में मक्के की फसल इस रोग से काफी प्रभावित हो रही हैं।
झुलसा रोग एक जीवाणु जनित रोग से काफी प्रभावित हो रही हैं। झुलसा रोग एक जीवाणु जनित रोग है। जिससे मक्के के आलावा धान, आलू, जीरा, जैसी फसलें भी प्रभावित होती हैं। पत्तियों पर इस रोग के प्रारंभिक लक्षण रोपाई या बुआई के 20 से 25 दिनों बाद नजर आते हैं। खेत में फसलों के अवशेष, पुवाल, खरपतवार आदि के द्वारा इस रोग के जीवाणु अगली फसल को भी प्रभावित कर सकते हैं।
मक्के की फसल में लगे झुलसा रोग के लक्षण
इस रोग से प्रभावित मक्के की पत्तियां एवं तनों पर भूरे रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। शुरुआत में मक्के की निचली पत्तियां सूखने लगती हैं। रोग बढ़ने के साथ मक्के के ऊपर की पत्तियां भी सूखने लगती हैं। फिर कुछ समय बाद पौधे पूरी तरह सुख कर नष्ट हो जाते हैं।
मक्के की फसल में लगे झुलसा रोग को नियंत्रण करने के जैविक विधि
खेत से पुरानी फसलों के अवशेष, पुवाल, खरपतवार, आदि को बाहर निकाल कर किसी एक जग रख कर जला दें।
जैविक विधि से इस रोग को नियंत्रण करने के लिए 150 लीटर पानी में मिलाकर एक लीटर जी-एनपीके को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में ठंडे वातावरण में स्प्रे करें।
इसके अलावा इस रोग को जैविक विधि से नियंत्रण करने के लिए 150 लीटर पानी में एक लीटर जी-डर्मा प्लस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में ठंडे वातावरण में स्प्रे करें।
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